Friday 24 January 2020

जिनके शब्दों में आधार होता है वह मन को जीत लेते हैं


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समय-समय पर अपनी मजबूत आधार वाली सच्चाई के साथ देश हो या विदेश सुझाव शेयर करते रहते हैं। तभी तो पूरा विश्व उनका कायल है। देश हो या विदेश जहां पर जाते हैं वहां की शैली और परंपरा को अंगीकार कर अपनत्व की भावना के साथ अपना मजबूत पक्ष रखते हैं साथ ही सौहार्दपूर्ण वातावरण निर्मित कर ही देते हैं। देश को नई दिशा में ले जाने का संकल्प और अच्छी शिक्षा नीति लागू करने के साथ ही आज उन्होंने दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम में 'परीक्षा पे चर्चा' मेें बच्चों को परीक्षा में तनाव से मुक्ति के लिये कई सुझाव दिये। 

प्रधानमंत्री मोदी ने क्रिकेट खिलाड़ियों का उदाहरण देते हुए समझाया कि  क्रिकेट खिलाड़ी मैदान में बैटिंग या बॉलिंग शुरु करने से पहले बैट घुमाना या बॉल फेंकने का आभासीय प्रदर्शन करते हैं। इस तरह वह अपने तनावों को दूर करते हैं। प्रधानमंत्री ने छात्रों से परीक्षा में जाने से पहले अपने पेन कॉपी आदि को ठीक करने जैसी परीक्षा से जुड़ी गतिविधियों में एक दो मिनट के लिये खुद को शामिल करने का सुझाव देते हुये कहा कि ऐसा करने से वे परीक्षा जनित तनाव से मुक्ति पा सकेंगे। उन्होंने कहा कि परीक्षा को जिंदगी में बोझ नहीं बनने देना चाहिये। 
उन्होंने कहा कि छात्र अगर परीक्षा में अपने काम पर ही खुद को केन्द्रित करें तो अनावश्यक तनाव से मुक्ति मिल सकेगी और इससे उनकी कठिनायी बहुत कम हो जाती है। मोदी ने छात्रों से परीक्षा में पहले सरल सवालों के जवाब देने का सुझाव देते हुये कहा कि इससे उनका हौसला भी बढ़ता है और कठिन सवालों के जवाब दे पाने का आत्मविश्वास पैदा होता है। उन्होंने कहा कि छात्रों को परीक्षा से बिल्कुल नहीं डरना चाहिये, खासकर नाकाम होने का डर तो कतई अपने मन में नहीं पनपने देना चाहिये। प्रधानमंत्री छात्रों के माता-पिता से भी आग्रह किया कि बच्चों से ऐसी बातें करें कि परीक्षा ही सब कुछ है। 

प्रधानमंत्री ने फोन पर समय की बर्बादी का जिक्र करते हुये कहा, 'स्मार्ट फोन आपका जितना समय चोरी करता है, उसमें से 10 प्रतिशत कम करके आप अपने मां, बाप, दादा, दादी के साथ बिताएं। तकनीक हमें खींचकर अपने पास ले जाए, इससे हमें बचना चाहिए। हमारे अंदर ये भावना होनी चाहिए कि मैं तकनीक को अपनी मर्जी से उपयोग करूंगा।' उन्होंने छात्रों से परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम पर आधारित पुस्तक 'एक्जाम वॉरियर' को अगले दो तीन दिनों में पढ़ने की गुजारिश की। मोदी ने कहा कि वह इस पुस्तक को इसलिये पढ़ने के लिये नहीं कह रहे हैं क्योंकि इसे उन्होंने लिखा है। 

उन्होंने छात्रों से जीवन को कुछ करने के सपनों से जोड़ने की अपील करते हुये कहा, 'अगर ऐसा करोगे तो इससे आपको कभी भी परीक्षा का दबाव और तनाव नहीं रहेगा। परीक्षा एक मुकाम है, परीक्षा ही सब कुछ नहीं है। जीवन में आगे जाने का एक मात्र रास्ता परीक्षा ही नहीं है, बल्कि कई अन्य रास्ते भी हैं।

No comments:

Post a Comment