Friday 24 January 2020

जो मानवता के लिए हितकर है, वह करणीय कार्य करते हैं प्रधानमंत्री मोदी

इस जगत में मनुष्य के अन्दर विभिन्न प्रकार की शक्तियां विद्यमान हैं। बहुत से मनुष्य चाहे वह नेता रहे हों या कुछ और ने अपने अन्दर की इन शक्तियों का उपयोग ही नहीं किया या यूं कहें कि उन्हें इन शक्तियों का ज्ञान ही नहीं था या इस ज्ञान का उपयोग ही नहीं करना चाहते थे।विश्व में कोई ऐसी वस्तु नहीं है, जिसे मनुष्य न पा सके। परन्तु इसके लिए कर्म करना अनिवार्य है। कोई व्यक्ति बहुत ज्ञानी और मेधावी है, यदि वह कर्म नहीं करता तो उसे कुछ भी प्राप्त न होगा। बहुत से भाग्यवादी या नियतिवादी नेता अपनी दुर्दशा पर अपने भाग्य को दोष दे रहे हैं। उन्हें ज्ञात होना चाहिए कि कर्म से ही भाग्य बनता है। यदि 65 वर्षों में सही कर्म किये होते तो आज उन्हें यूं एक तरफ नहीं बैठना पड़ता। 

मनुष्य में उसका धर्म ही उसे अन्य जीवों से अलग करता है। यह धर्म क्या है? यह मानव धर्म है। इस धर्म का पालन उसके करणीय कर्मों से होता है। अर्थात वह अपने देह धर्म या ’स्व्य से ऊपर उठकर मानवता के कल्याण में तत्पर होता है। जो भी मानवता के लिए हितकर है, वह करणीय है। यही कार्य प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने भ्रष्टाचार मुक्त शासन देने और विकास के रास्ते को बहुत तेजी से बढ़ाया है। जीएसटी और नोटबंदी प्रधानमंत्री जी का मास्टर स्ट्रोक साबित हुआ है। धन-जन योजना से लोगों को जोड़कर गिनीज बुक में तो नाम किया ही साथ ही 67 वर्षों के अन्दर जो दूसरी सरकारो ने नहीं किया वह मोदी जी ने कर दिखाया। उन्होंने देश की बड़ी आबादी को बैंकिंग सेवाओं से जोड़ा। डिजिटिलाईजेशन लाकर सरकारी कार्यों में पारदर्शिता सुनिश्चित की। गांवों का बिजलीकरण किया। स्वच्छ अभियान चलाकर देश को सफाई के लिये जागृत किया। कश्मीर मुद्दा हो या अयोध्या मुद्दा हमेंशा के लिये बंद कर दिया ताकि देश में कोई कश्मीर या मंदिर के नाम पर वोट बैंक की राजनीति न करे। दूसरी पार्टियों ने हमेंशा इन मुद्दों को भुनाया लेकिन इस दिशा में रत्तिभर भी प्रयास नहीं किया। अपने विदेश नीति और कूटनीति के दम पर दुनिया में धाक जमाई। 

प्रधानमंत्री क्या कर सकते हैं यह उनकेे अंदर की शक्ति पर निर्भर है। कभी-कभी परिस्थितियां ऐसी होती हैं, जो मनुष्य के लिए विपरीत होती हैं और यही परिस्थितियां जीवन को नई दिशा में ले जाने के लिये प्रेरित करती हैं शायद प्रधानमंत्री जी के लिये भी यही परिस्थितियां कारगर साबित हुईं। उन्हें बहुत संघर्ष करना पड़ा। यदि वह कर्म न भी करते तो अपना जीवन आराम से बिता सकते हैं। परन्तु उन्होंने कर्म को अपनाया उससे उनका मार्ग आसान होता गया। उनके कर्म की शैली भी दूसरों से इतर है। अपने कर्म की शैली का विवेक देने और उसमें शक्ति का संचार भरने के लिये उन्होंने योग को अपनाया। योग से कर्म में कौशल आता है। किसी कर्म के लिए शारीरिक और बौद्धिक बल चाहिए। योग के आसन, प्राणायाम, संयम आदि मनुष्य को स्वस्थ रखते हैं, ध्यान आदि से उसकी एकाग्रता बढ़ती है। भली प्रकार कार्य संपन्न करने के लिए ये दोनों बातें आवश्यक हैं। इसी के साथ उसे आत्मज्ञान होना चाहिए। जिस काम को वह करने जा रहा है, उसका पूर्ण ज्ञान-वह काम करणीय है या नहीं, यदि करणीय है तो फलाफल की इच्छा त्याग कर निस्पृह भाव से उसमें पूरी एकाग्रता से लग जाना चाहिए। यही प्रधानमंत्री मोदी जी ने किया। उन्होंने देश के लिये अब तक किये गये कार्यों पर गर्व या अहंकार नहीं किया। 

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