Friday 7 February 2020

प्रेम भावना को खुलकर प्रदर्शित करने का अवसर ‘वैलेन्टाइन-डे’


‘वैलेन्टाइन-डे’ सप्ताह या वीक (Week) शुरू हो चुका है। प्यार का यह त्यौहार ‘वैलेन्टाइन-डे’ (Valentine Day) तक चलेगा। रोज डे (Rose Day) ‘वैलेन्टाइन' सप्ताह का पहला दिन है। इस दिन प्रेमी-प्रेमिका एक दूसरे से प्यार का इजहार करते हैं। पीला गुलाब (Yellow Rose) दोस्ती का प्रतीक माना जाता है। सफेद गुलाब प्रेमी और प्रेमिका के बीच पवित्रता, शांति और एकता को दर्शाता है। गुलाबी रंग का गुलाब प्रशंसा के लिये दिया जाता है। नारंगी गुलाब प्रशंसा और उत्साह को प्रदर्शित करता है। लाल गुलाब (Red Rose) उन्हें दिया जाता है जिनसे आप प्यार करते हैं। लाल रंग का गुलाब प्रेम, प्यार की गहराई और भावुकता का दर्शाता है।

8 फरवरी को प्रपोज डे (Propose Day) है। 
9 फरवरी को चॉकलेट डे (Chocolate Day) है। 
10 फरवरी को टेडी डे (Teddy Day) है।  
11 फरवरी को प्रॉमिस डे (Promise Day) है। 
12 फरवरी को हग डे (Hug Day) है।

13 फरवरी को किस डे (Kiss Day) है। 


वैलेन्टाइन-डे’ (Valentine Day) यानि ’प्रेम दिवस’ समूचे विश्व में आधुनिक युवा पीढ़ी के ’प्रेम पर्व’ के रूप में प्रसिद्ध है। प्रतिवर्ष 14 फरवरी को आयोजित इस वर्ष की तैयारियां विश्व भर में कई सप्ताह पूर्व ही शुरू हो जाती है। प्रेम, श्रृंगार तथा प्रणय का यह उत्सव यूं तो हर देश में पूरी मर्यादा, जोश तथा उल्लास के साथ मनाया जाता है, लेकिन पश्चिमी देशों से निकलकर यह पर्व भारत में ’वसन्तोत्सव’ व ’मदनोत्सव’ की भांति मनाया जाने लगा है। हालांकि ’वैलेन्टाइन डे’ (Valentine Day) विशेष रूप से ’रोम’ से जुड़ा हुआ है, लेकिन रोम वासियों का इसी से मिलता-जुलता पर्व ’लुपरकेलिया’ भी ’प्रेम दिवस’ से ही संबंधित है।




’वैलेन्टाइन-डे’ (Valentine Day) का स्वरूप पश्चिमी सभ्यता से जुड़ा हुआ है, लेकिन इससे जुड़ी भावना ही इस उत्सव को पूरे संसार में फैलाने में कामयाब रही है। भारत में भी ’युवा प्रेमियों' द्वारा यह पर्व पूरे उत्साह के साथ मनाया जाने लगा है। इस दिवस के पीछे छिपी प्रेम भावना यूं तो सबके लिए है पर आज यह पर्व केवल युवक-युवतियां ही नहीं अपितु बच्चे, गृहणियां, प्रौढ़ सभी के लिए है जो इस प्रेम दिवस का भरपूर आनन्द जश्न के रूप में उठाते हैं। यह पर्व अब केवल कुंआरों के लिए ही नहीं रह गया है, बल्कि वैवाहिक जोड़े भी पारम्परिक प्रेम को प्रगाढ़ता प्रदान करने के लिए इस अवसर का भरपूर लाभ उठाते हैं।

’वैलेन्टाइन-डे’ की शुरूआत

’वैलेन्टाइन-डे’ (Valentine Day) की शुरूआत कहां कब व कैसे हुई इस बारे में भिन्न-भिन्न मत है। कुछ लोग इसे इंग्लैंड की देन भी मानते हैं लेकिन सर्वाधिक प्रचलित कथा रोम के पादरी संत वैलेन्टाइन से जुड़ी हुई है। 14 फरवरी संत वैलेन्टाइन की शहादत का दिन माना जाता है। घटना ईसा पूर्व 269 की है, जब रोम से 60 मील दूर ’तैरनी्य नामक स्थान में संत वैलेन्टाइन एक अत्यन्त ही लोकप्रिय संत के रूप में प्रसिद्ध थे। वहां के लोग इन्हें ईश्वर का ही रूप मानते थे।

ऐसा माना जाता था कि रोम में वहां की परम्परानुसार स्त्री और पुरुषों को आपस में प्रेम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं थी। बल्कि वहां के समुदाय के ’मुखियां को ही यह अधिकार था कि वे मनमाने ढंग से लड़के-लड़कियों का रिश्ता तय करते थे, जिसमें उनके माता-पिता की मर्जी भी नहीं चलती थी। रोम के सम्राट क्लाडियस ने भी युवक-युवतियों की मनचाही शादियों पर रोक लगा रखी थी। लेकिन संत वैलेन्टाइन इसका विरोध करते रहे, उनका कहना था कि हर मनुष्य को प्रेम करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए। ऐसे ही दौर में सम्राट की आज्ञा का उल्लंघन करते हुए पादरी वैलेन्टाइन ने एक युवा जोड़े को ’परिणय सूत्र्य में बांध दिया।

संत वैलेन्टाइन के इस कृत्य से सम्राट क्लाडियस इतना खफा हुआ कि उसने उन पर राजद्रोह का आरोप लगाते हुए कैद कर लिया व उनका सर धड़ से अलग करवा दिया, तब समस्त रोम वासियों का हृदय पसीज उठा व उनकी शहादत से वे इतने द्रवित हो गये कि हमेशा-हमेशा के लिए उनका नाम दुनिया में अमर रखने के लिए उनकी शहादत के दिवस को ही ’वैलेन्टाइन डे’ का नाम दे दिया। संत वैलेन्टाइन के सम्मान में रोम वासियों ने 350 ईस्वी पूर्व रोम में एक ’गिरजाघर’ बनाया और उनके अंतिम अवशेष भी एक ताबूत से बरामद कर लिये।

’वैलेन्टाइन-डे’ (Valentine Day) का मूल रूप प्राचीन रोमन त्यौहार ’लुपरकेलिया’ है। प्राचीन रोम में 14 फरवरी को ’भेडिय़ों’ से रक्षा हेतु यह उत्सव मनाया जाता था, इस उत्सव के दौरान युवतियां लोगों को पशुओं की खाल से पीटती थी, उन्हें विश्वास था कि ऐसा करने से उनमें पौरुष बढ़ता हैं।
’वैलेन्टाइन-डे’(Valentine Day) पर प्रेमी-प्रेमिकाओं के प्रेम प्रदर्शन का हवाला अंग्रेज कवि ’ज्याफ्री चाऊसर’ ने अपनी कविता में भी किया है। महान नाटककार विलियम शेक्सपियर के नाटक ’हेमलेट’ में भी इस दिवस का जिक्र मिलता है, जिसमें ’ओलिविया’ गाती है।
मैं तुम्हारे झरोखे के पास खड़ी दासी हूं।
तुम्हारी प्रेमिका बनने के लिए।

ब्रिटेन और इटली में ’वैलेन्टाइन-डे’ का चलन अत्यन्त ही प्राचीन

ब्रिटेन और इटली में ’वैलेन्टाइन-डे’ (Valentine Day) का चलन अत्यन्त ही प्राचीन है। 37वीं शताब्दी में तो ब्रिटेन की महिलाएं अपने प्रेमी पुरुषों के नाम एक कागज पर लिखकर पानी में डाल देती थी, जो पर्ची सबसे पहले तैरकर ऊपर आती थी, उसी पर्ची में लिखे नाम को वह स्त्री अपना सच्चा प्रेमी मानकर प्रेम का इज़हार करती थी। 17वीं शताब्दी में अविवाहित महिलाएं इस दिवस पर लाखी नामक पेड़ के पांच पत्ते अपने तकिये के नीचे दबाकर सोती थी। उन्हें विश्वास था कि इससे उन्हें सपने में अपने भावी पति दिख जायेंगे। इटली में इसी दिन अविवाहित युवतियां अल सबेरे जागकर अपने घर के झरोखों से सबसे पहले दिखने वाले पुरूष को अपना दिल देकर उसी से शादी रचाती थी।

कुछ देशों में ‘वैलेन्टाइन-डे’(Valentine Day) पर युवक-युवतियां हाथों में तीन रंग की रेशमी पट्टियां लेकर चलती है, ये पट्टियां लाल, पीली, व सफेद होती हैं। लाल पट्टी रोमांस की प्रतीक मानी जाती है तो सफेद पट्टी दोस्त को दी जाती है और पीली पट्टी अपने खास जिगरी दोस्त को।

खुलकर भावनाओं को प्रदर्शित करें

कुल मिलाकर यह दिवस एक ऐसा अवसर है, जो प्रेम भावना को खुलकर प्रदर्शित करने का मौका देता है। हां, इस प्रेम भावना को अपनत्व व शालीनता से प्रदर्शित करने में कोई बुराई नहीं है। प्रत्येक युवक-युवती मर्यादा में रहकर ही इस दिवस को मनाये, यही उस संत वैलेन्टाइन के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।