बच्चों की वार्षिक परीक्षा (Annual Exam) का महीना शुरू हो चुका है। इस समय बच्चों को आत्मीय लगाव के साथ-साथ मानसिक लगाव की भी बहुत ज्यादा आवश्यकता होती है। अक्सर परीक्षा के पूर्व बच्चों में घबराहट या मानसिक बैचेनी देखी जा रही है जिसे एंग्जायटी (Anxiety) भी कहते हैं। छात्रों में परीक्षाओं के दौरान या उससे पूर्व तनाव या चिन्ता भय के रूप में अग्रसर रहती है। जिसे हम परीक्षा का भय या तनाव कह सकते हैं। इसमें बच्चों को अचानक उदासी, आत्मविश्वास की कमी, फेल होने या अच्छे नंबर न आने की चिन्ता, बुद्घि या एकाग्रता की कमी, कुछ भी याद न रख पाने के लक्षण स्पष्ट रूप से दिखते हैं। बालकों में ऐसे विचार उत्पन्न होते हैं कि वह ठीक ढंग से पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं अतः उन्हें परीक्षा में बैठना नहीं चाहिये। कभी-कभी बालकों में तेज पसीना, घबराहट, जी मचलना, हाथ पांव में दर्द, भूख में कमी, थकान आदि के लक्षण दिखाई देते हैं। कई बार इसके कारण वे पूरे परिवार व माता-पिता के लिए भी परेशानी का कारण बन जाते हैं, वह यह नहीं समझ पाते हैं कि उनके बच्चों को परीक्षा के दौरान क्या हो रहा है?
परीक्षा (Exam) का भय अच्छे विद्यार्थियों (Student's) या मेरिट में आने वाले बच्चों में ज्यादातर देखा गया है क्योंकि उत्कृष्ट विद्यार्थियों में आपसी प्रतिस्पर्धा ज्यादा होती है। उन्हें साथी छात्रों, टीचर, माता-पिता एवं जानकारों द्वारा उनकी पढ़ाई (Study) को लगातार देखे जाने की चिंता रहती है। उन्हें परीक्षा के दौरान भविष्य की चिन्ता अधिक होती है। यह भी देखा गया है कि प्रायः कक्षा 8, 10 वीं या 12 वीं अथवा कोचिंग ले रहे छात्रों में यह अधिक होती है क्योंकि वे अपना पूर्ण भविष्य होने वाली परीक्षा से जोड़े रखते हैं, साथ ही पारिवारिक आकांक्षाओं को पूरा नहीं कर पाने का भय भी सम्मिलित कर लेते हैं। प्रायः इस तरह की अवस्था छात्रों मेें परीक्षा से कुछ दिन पहले देखी जा सकती है।
परीक्षा में भय या तनाव का प्रमुख कारण-
सामान्यतः परीक्षा (Exam) से पूर्व उत्पन्न चिन्ता जैसे- कोर्स का समय पर पूरा नहीं होना, समय पर पढ़ाई न कर पाना या पीछे रह जाना, दोहराने के समय में कमी, पूर्व में समय पर पढ़ाई न कर पाने के कारण बच्चों में उदासी, तनाव, चिन्ता प्रकट होती है, उन्हें यह महसूस होता है कि उनका पूरा साल खराब न हो या उनकी उम्मीद के हिसाब से वह अच्छा नहीं कर पाएंगे।
इसी चिन्ता के रहते उनमेें हीन भावना, शर्म के कारण तनाव एवं उदासी के लक्षण पैदा हो जाते हैं जिसका प्रमुख कारण समय पर पूर्व योजनाबद्घ तरीके से तैयारी न कर पाना है। यह भी देखा गया है कि बच्चे कुछ पेपर तो अच्छे करते हैं लेकिन प्रमुख पेपरों में उन्हें ज्यादा चिन्ता होती है, जिसे हम परीक्षा का भय कहते हैं।
परीक्षा में भय को पहचानने के लक्षण:
परीक्षा (Exam) के भय या तनाव को सामान्यतः माता-पिता या साधारण व्यक्ति इस तरह से पहचान सकते हैं कि उनके बच्चे में परीक्षा का भय या तनाव है या नहीं? बच्चों का बात कम करना, उदास रहना, घबराहट, बार-बार पानी पीना, नींद में कमी, भूख में कमी, सोते रहने की इच्छा होना, पढ़ाई न कर पाना, एकाग्रता में कमी, याद न होने की शिकायत, दिमाग खाली होना या कई बार रोना आना, आत्मविश्वास की कमी। निराशावादी विचारों का आना, बार-बार घूमने की इच्छा होना, टी.वी. देखना, चिड़चिड़ापन, बात-बात में माता-पिता पर चिल्लाना या गुस्सा होना इत्यादि।
परीक्षा में भय एवं तनाव क्यों हो?
सर्वप्रथम छात्रों को यह जानना आवश्यक है कि मानसिक तनाव (mental stress) के कारण ही उसमें अवसाद या भय की स्थिति पैदा हो रही है जिसे हम ही दूर कर सकते हैं। यह कोई मानसिक बीमारी नहीं है, एक सामान्य लक्षण है। माता-पिता को चाहिये कि बच्चों के सामने स्वयं की चिन्ता या निराशा को ना कहें न ही बच्चों के सामने उनके कक्षाध्यापक या अन्य बच्चों से सहायता लेने की कोशिश करें बल्कि बच्चों में आत्मविश्वास पैदा करें कि उनकी तैयारी या पढ़ाई का तरीका पूर्व में भी अच्छा रहा है अतः इस बार वे निश्चित रूप से पास हो जायेंगे। भय की स्थिति एक सामान्य मनोवैज्ञानिक अवस्था है जो अपने आप ही धीरे-धीरे दूर हो जायेगी।
भय मुक्त होकर तैयारी कैसे करें?
1. विद्यार्थियों (Students) को चाहिए कि परीक्षा की तैयारी समय पूर्व पाठ्यक्रम के अनुसार करें। साथ ही पढ़ाई का टाईम टेबल बनाकर उसे एक शीट पर लिखकर उसके निर्धारित समय अनुसार करें जिससे परीक्षा प्लान पूरा हो सके एवं एकदम ज्यादा भार न पड़े।
2. हर विषय की विषयसूची बनाएं एवं जो-जो विषय पूरे हो रहे हों उन्हें चिन्हित करें। इस विधि को स्टडी बाय इन्डेक्स कहते हैं। इससे छात्रों को यह लाभ होता है कि उनके सामने संपूर्ण सिलेबस का नक्शा एवं उनकी तैयारी की स्थिति उन्हें पता हो जाती है तथा यह पता होता है कि उन्हें कितनी तैयारी करना बाकी है। अतः परीक्षा पूर्व छात्रों को इस प्रकार तैयारी करनी चाहिये।
3. विद्यार्थियों को परीक्षा के दौरान या एक दो दिन पूर्व कोई भी नई किताब नहीं पढऩी चाहिये ना ही बहुत सारी किताबों को एक साथ पढऩा चाहिये।
4. विद्यार्थियों को दूसरे बच्चों से उनकी तैयारी के बारे में जानकारी कम लेनी चाहिये जिससे उन्हें अनावश्यक भय नहीं रहे कि उनका कोर्स अभी पूरा नहीं हुआ है या औरों से कम हुआ है क्योंकि कई बार कुछ छात्र जानबूझ कर झूठ बोलते हैं कि उनकी तैयारी अच्छी है व उन्होंने कई किताबों को पढ़ा है अतः ऐसी स्थिति में छात्रों को दूसरे दोस्तों के सुझावों को नहीं मानना चाहिये।
5. छात्रों को टेलीफोन या व्यक्तिगत रूप से मिलकर छात्रों से बात अवश्य करनी चाहिये, पर इस बात का ध्यान रखना चाहिये कि उनकी झूठी बातों से वे तनावग्रस्त ना रहें, इससे आपको अपनी तैयारी का ख्याल बना रहता है कि आपकी तैयारी अच्छी है।
6. परीक्षा के दौरान योगासन करना, सुबह-शाम घूमने जाना, अच्छा खाना खाना, चाय-कॉफी पीना तथा सूखे मेवों का लेना अधिक हितकर होता है इससे आपको ऊर्जा मिलती रहती है और थकान में कमी आती है।
7. भगवान के मंदिर जाना, पानी में पांव रखना या नहाना भी काफी हद तक विद्यार्थियों को तरोताजा एवं आत्मविश्वासी बनाता है।
8. छात्रों को अपने ऊपर विश्वास बनाए रखना चाहिये यह सोचना चाहिये कि वे निश्चित रूप से पास होंगे क्योंकि उन्होंने अच्छी तैयारी की है।
9. इसके उपरांत भी छात्रों में तनाव या भय लगातार बना रहे तो उन्हें मनोवैज्ञानिक या मनोचिकित्सक का परामर्श लेना चाहिये। जिससे और तनाव न बढ़े।