Friday, 7 February 2020

कई बीमारियों का ईलाज प्रकृति स्वयं ही करती है

यह बात सच है कि कई बीमारियां बिना कोई दवा लिये ठीक हो जाती हैं। प्रकृति द्वारा कई बीमारियों को स्वयं  ही ठीक करने की क्षमता होती है, किंतु  हम छोटे से छोटे रोग में घबराकर चिकित्सक के पास दौड़ जाते हैं और एक लंबा चौड़ा पर्चा हाथ में थामे चले आते हैं। उसमें कई ऐसी भी दवाईयां होती हैं, जिनकी हमारे शरीर को आवश्यकता नहीं होती है। किंतु डाक्टर मेडीकल स्टोर से कमीशन पाने या दवाई एजेंट को खुश करने के लिए यह सब दवाईयां लिखते हैं। जो आगे चलकर हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाती हैं।

दिनचर्या में करें सुधार

कमर दर्द बंद करने के लिये रेडियो, टीवी, पत्रिकाओं एवं समाचार पत्रों में न जाने कितने सारे विज्ञापन ट्यूब, शीशी या स्प्रे होते हैं, जिन्हें लगाते ही महिला या पुरूष रूप से कमरदर्द  हमारे प्रतिदिन के कामकाज में ठीक से नहीं बैठने के कारण होता है, वस्तुओं को ठीक से नीचे से उठाने, जूते  के फीते बांधने या पांव मेें बल डालकर बैठने या झुकी हुई स्थिति में घंटों कार्य करने के  अतिरिक्त रात को ठीक से बिस्तर का उपयोग नहीं होने तथा सोते में ठीक स्थिति में नहीं सोने के कारण दर्द होना प्रारंभ होता है। विज्ञापित ये ब्राण्ड कुछ घंटों के लिए लाभ पहुंचा सकते हैं, किंतु दर्द वही स्थिर रहता है। इसलिए महत्वपूर्ण यह होता है कि हम हमारे कार्य करने की पद्घति ठीक करें। बैठने की स्थिति को बदलें तथा घंटों झुककर कार्य करने के बजाय कुछ समय के लिए अपनी कमर सीधी करके स्थिर भी रहें। इससे कमर को और मस्तिष्क को भी राहत मिलेगी, यदि हम गंभीरता से पूरी दिनचर्या पर दृष्टि डालें तो वह बिंदु पकड़ में आ जायेगा, जिसके कारण हमारे कमर दर्द हो रही है। यदि यह दिनचर्या ठीक  कर लें तो आप पायेंगे कि कमर दर्द भी धीरे-धीरे दूर हो जायेगा तथा आपकी कार्यक्षमता भी बढ़ जायेगी।

बालों की समस्या का प्राकृतिक रूप से छुटकारा

बालों में रूसी होना, यह एक आम शिकायत है कि इसके लिए आजकल के शेम्पू भी दोषी हैं, जो उचित मापदंड से नहीं बनाये जा रहे हैं, जो बालों की रक्षा की बजाय सिर को नुकसान अधिक पहुंचाते हैं। वैसे रूसी एक तरह का इन्फैक्शन ही है। यह किसी के कंघे, तौलिए, टोपी या सिर में उपयोग होने वाले सामान से धीरे से आपके सिर में भी पहुंच जाती है और सिर में खुजलाहट तथा बालों को नुकसान पहुंचना प्रारंभ हो जाता है। आप यदि चाहें तो इससे प्राकृतिक तरीके से शीघ्र छुटकारा पा सकते हैं। सिर को एक सप्ताह छाछ  (मही)  से धोयें, किंतु ध्यान रहे यह छाछ सिर में  कम से कम पांच मिनिट लगी रहने दे तथा अपनी कंघी एवं तौलिया अलग रखें, छाछ के उपयोग के बाद सिर में तेल या शैम्पू नहीं करें। महिलाएं इसे सप्ताह में दो बार या रात में सिर में लगाकर सुबह भी धो सकती हैं तथा फिर माह में एक बार लगाएं। यह प्राकृतिक रूप से धीरे-धीरे गायब हो जायेगी। यदि हठी रूसी है तो किसी चिकित्सक से इस विषय में सलाह लें।

सर्दी-जुकाम को विषम न बनायें

जुकाम भी एक छूत की बीमारी है। यह भी लगभग 4-5 दिनों में प्राकृतिक रूप से ठीक हो ही जाता है तथा कभी-कभी यह कुछ दिन अधिक भी ले लेता है। इसका अभी तक कोई इलाज पूरी गारंटी के साथ नहीं निकला है और जुकाम ठीक करने की दवाईयों के विज्ञापन पूरी तरह से भ्रम ही हैं। यदि प्राकृतिक रूप से इसे निकल जाने दिया जाए तो वह अधिक ठीक होता है। गोलियां और एन्टीबॉयोटिक्स इसे और विषम बना देते हैं।

आंखों को दें पर्याप्त आराम

इसी तरह सिरदर्द और आंख का दर्द भी इसी क्रम में आते हैं। ठीक से बैठकर नहीं पढऩे-लिखने से आंखों में दर्द होने लगता है, वहीं रात गये तक टीवी देखने से आंखों को पर्याप्त विश्राम नहीं मिलने से भी आंखों में दर्द होने लगता है। ठीक इन्हीं सब के कारण सिर दर्द होता है अत्यधिक तनाव, बढ़े हुए रक्तचाप में भी सिर दर्द करता है। इसका पर्याप्त उपचार विश्राम करना एवं शांत रहना है। यह रोग भी अपनी दिनचर्या को यदि ठीक रखें तो बिना चिकित्सक के ठीक हो सकता है। 

दिनचर्या में सुधार कर दूर भगायें पेट की समस्या

पेटदर्द, दस्त, एसीडिटी यह भी सामान्य-सी बीमारियां हैं, जो अक्सर परिवार के सदस्यों के मुंह से सुनने, देखने को मिल जाती है। यदि एसीडिटी की शिकायत है तो अपने खान-पान, सोने के समय को देखें, काम के अधिक बोझ, चिंता से बचेें। खाने पीने में तेज मिर्च, मसाले तली वस्तुओं से परहेज रखें। यदि शरीर पर उचित ध्यान दें तो कुछ ही दिनों में स्थिति सामान्य हो जाएगी, लेकिन छोटे-छोटे रोग पर दवाई खाकर अपने सामान्य शरीर को दवाई का आदी नहीं बनाना चाहिए। पेट दर्द या दस्त में भी तुरंत दवाईयों के पीछे नहीं दौडऩा चाहिये बल्कि जो रोग हुआ है, उसके कारण को जानने का प्रयास करना चाहिये। यदि गरिष्ठ भोजन या अधिक भोजन से कुपच हुआ है तो हमें उसे शरीर से बाहर करने में शरीर के सहयोग को नकारना नहीं चाहिए। उचित चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए। ठीक इसी तरह उल्टी में भी कुछ विजातीय पदार्थ शरीर से बाहर हो रहे हैं तो उसे बाहर निकल जाने देना चाहिए। उसके बाद ही योग्य चिकित्सक या परिवार के डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए। प्रकृति के अपने सिद्घांत हैं, जो भी अनुचित द्रव्य शरीर में होते हैं उसे वह बाहर करने हेतु प्रयास करती है इससे हमें एकदम घबराना नहीं चाहिए बल्कि अपनी दिनचर्या पर एक नजर डालकर उसमें सुधार लाना आवश्यक है। छोटे-छोटे रोगों पर डाक्टरों के बड़े-बड़े बिल जहां आपके महीने के बजट को गड़बड़ा देते हैं वहीं आपकी प्राकृतिक रोग निरोधक क्षमता को भी प्रभावित करके आपको कमजोर करते हैं।