Saturday 8 February 2020

गर्दन के दर्द को न करें नजर अंदाज

गर्दन का दर्द (Neck pain) नेक पैन अक्सर बहुत से लोगों को परेशान करता है। यहां दर्द का उद्गम गर्दनकी हड्डियों से लेकर अन्न नलिका, हृदय और प्रमुख धमनियों से हो सकता है। इस दर्द से बच्चों से लेकर वृद्घों तक को तकलीफ उत्पन्न हो सकती है।

बच्चों में गर्दन (Neck pain) का दर्द

बच्चों में गर्दन (Neck pain) नेक पैन का दर्द प्रमुख रूप से गर्दनके दोनों ओर उठ आने वाली गांठों की वजह से हो सकता है। अक्सर बच्चों को गले का संक्रमण, सर्दी व खांसी होती रहती है। इसी संक्रमण के फलस्वरूप गर्दनके दोनों तरफ कई गांठें उभर आती हैं। जब संक्रमण उन्नत अवस्था में होता है तो ये गांठें भी सूज जाती हैं और दर्द उत्पन्न करती हैं। 

कुछ समय बाद जब दवा के उपयोग से संक्रमण काबू में आ जाता है तो दर्द की मात्रा को पूरी तरह खत्म होने में अधिक वक्त लगता है। अतः अक्सर ऐसी गांठों की मौजूदगी पालकों को परेशान करती रहती है हालांकि यह कोई चिंता की बात नहीं है, मगर यही गांठें कई महीनों तक वैसे ही बनी रहें या उनके आकार व दर्द में वृद्घि हो तो चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए क्योंकि कई बार इसमें क्षयरोग या कैंसर होने की संभावना रहती है।

गर्दन दर्द (Neck pain) नेक पैन का दूसरा कारण है गर्दनकी हड्डी में फ्रैक्चर हो जाना या उनके जोड़ का खिसक जाना। यह गर्दनमें चोट लग जाने की वजह से या गर्दनको अकस्मात तेजी से घुमाने पर हो सकता है। चोट लगने के वक्त तो अधिक तकलीफ महसूस नहीं होती मगर बाद में गर्दनमें अत्यधिक दर्द उत्पन्न हो सकता है।

अन्न नली में किसी बाह्य वस्तु के फंस जाने या ट्यूमर के मौजूद होने पर भी गर्दनमें दर्द उत्पन्न हो सकता है। इसके अलावा निगलने में परेशानी, उलटी होना, वजन कम होना, भूख न लगना जैसे लक्षण भी सम्मिलित हो सकते हैं।

उसी तरह गर्दन दर्द (Neck pain) नेक पैन का सबसे महत्वपूर्ण और आम कारण है गर्दनकी हड्डियों का घिस जाना या उनके बीच में मौजूद मज्जा तंतुओं से बनी गद्दी जिसे डिस्क भी कहते हैं, का खिसक जाना। यह अक्सर चोट लग जाने के कारण एकाएक झटके से गर्दनघूम जाने पर हो सकता है। 

ऐसे में गर्दन अकड़ जाती है और उसकी जरा सी हलचल से भी भीषण पीड़ा होती है। खांसने, छींकने या ज्यादा बोलने पर दर्द होने लगता है, कुछ समय बाद दर्द फैलकर कंधों और पूरे हाथ मेें भी होने लगता है, उंगलियां सुन्न हो  जाती हैं या उनमें चीटियां रेंगने लगती हैं।

वयस्कों में गर्दन दर्द (Neck pain) 

वयस्कों में अधेड़ावस्था के बाद गर्दनदर्द (Neck pain) नेक पैन का अन्य आम कारण है गर्दन की हड्डियों का घिस जाना। इसे सर्वाइकल स्पांडिलोसिस भी कहा जाता है। दरअसल चालीस वर्ष के बाद हर व्यक्ति की हड्डियों का क्षरण शुरू हो जाता है। यह एक सामान्य प्राकृतिक बदलाव है जिस पर व्यक्ति के रहन-सहन, रोजगार और दिनचर्या का हल्का सा प्रभाव रहता है।

इस बीमारी के प्रमुख लक्षण हैं गर्दन में दर्द (Neck pain) नेक पैन होना, बांह और पीठ में जकडऩ महसूस होना और गर्दन की हलचल में घिसने की आवाज आना। कई बार सिर के पिछले हिस्से में दर्द होना भी इस बीमारी में सम्मिलित होता है।

हाथों में एक अस्पष्ट और हल्का सा दर्द हो सकता है जो सीधा उद्गम स्थल गर्दनकी ओर इंगित करता है। हाथों में स्पर्श  महसूस न होना या चीटियां चलना जैसे लक्षण भी दिखाई पड़ सकते हैं। रोगी गर्दन को हलका सा एक ओर घुमाकर रखता है।

छोटे बच्चों में जन्मजात बीमारी के रूप में गर्दन में टेढ़ापन दिखाई दे सकता है। अक्सर यह उन बच्चों में होता है जिनके प्रसव के वक्त कोई जटिलता आ गयी हो और अप्राकृतिक तरीके से प्रसव कराना पड़ा हो। इस बीमारी का पता पहले तीन-चार महीने नहीं लगता। मगर जब बच्चा अपनी गर्दन संभालने योग्य हो जाता है तो इसका पता लगता है। बच्चा अपनी गर्दन एक ओर मोड़कर रखते हैं। यदि समय पर इलाज न किया जाय तो उसके चेहरे पर स्थायी विकृति या आंखों में भैंगापन उत्पन्न हो सकता है।

उसी तरह श्वांस नली का संक्रमण भी इसी तरह के दर्द का जन्मदाता हो सकता है। इसमें दर्द के अलावा खांसी, बलगम निकलना एवं बुखार जैसे लक्षण शामिल होते हैं।

थॉयराइड ग्रंथि के विकार भी गर्दन में दर्द के जन्मदाता हो सकते हैं। घेंघा (गॉइटर)रोग या ग्रंथि में ट्यूमर होने की वजह से इस तरह की तकलीफ पेश आ सकती है।

गर्दन की हड्डी का क्षयरोग, संधिवात, गर्दन की मांसपेशियों का ट्यूमर भी इस दर्द को जन्म दे सकता है।
रोग निदान

गर्दन में उठने वाले दर्द (Neck pain) नेक पैन के कारणों का विवरण ऊपर दिया जा चुका है अतः उसके मुताबिक चिकित्सक से सलाह लेकर रोग निदान किया जा सकता है। चिकित्सक द्वारा शारीरिक जांच के द्वारा ही रोग के कारण का पता लगाया जा सकता है। इसके अलावा गर्दन के एक्स-रे, रक्त की जांच, गले की भीतरी जांच और विशेष परिस्थितियों में कैट स्कैन जैसे अत्याधुनिक साधनों की भी जरूरत पड़ सकती है।

उपचार (Treatment of neck pain)

सर्वाधिक आम कारण यानि गर्दनकी हड्डियों के घिसाव का उपचार भौतिकोपचार, व्यायाम और गर्म सेंक के द्वारा किया जा सकता है। इसके अलावा गर्दन को सहारा देने वाली ’कॉलर्य  का इस्तेमाल भी करना पड़ सकता है।

दर्दनाशक दवायें, मालिश के लिये उपयोग मेें आने वाली मरहमों और तेलों का उपयोग भी अधिकांश बार  करना पड़ता है।

गर्दन का जन्मजात टेढ़ापन प्रारंभिक अवस्था में कसरत और मालिश द्वारा सफलतापूर्वक दूर किया जा सकता है, मगर अधिक उम्र के बच्चों में शल्यक्रिया की भी जरूरत  पड़ सकती है।

गर्दन की हड्डी का क्षयरोग भी दवाओं और गर्दनको सहारा देने वाले उपकरणों द्वारा किया जा सकता है। मगर जटिलतायें उत्पन्न होने की दशा में शल्यक्रिया अनिवार्य हो जाती है।

हड्डियों के मध्य में स्थित गद्दियों के सरक जाने या घिस जाने की वजह से हुये दर्द का उपचार गर्दनको पूर्णतः आराम देने या उसे वजन लगाकर खींच रखने की विधि जिसे ’ट्रेक्शन’  कहा जाता है, करनी पड़ती है। इसके अलावा दर्दनाशक दवाओं, सेंक एवं गर्दनकी कसरतों का भी अपना महत्व है।

श्वांस प्रणाली का संक्रमण प्रतिजैविक औषधियों और अन्य दवाओं द्वारा काबू किया जाता  है।

थायराइड ग्रंथि के विकार भोजन में आयोडीन की मात्रा बढ़ाने और दवाओं से अक्सर ठीक हो जाते हैं मगर वृद्घि बहुत अधिक हो तो शल्यक्रिया भी करनी पड़ सकती है।

बच्चों की गर्दन में उभरने वाली गांठों से बेवजह चिंतित होने की जरूरत नहीं है। वे अक्सर वक्त के साथ कम होती चली जाती है। हां, यदि किसी गांठ में अप्रत्याशित वृद्घि दिखाई दे या उसमें  दर्द  ज्यादा हो तो चिकित्सक से सलाह लें, ऐसे में उस गांठ को शल्यक्रिया द्वारा निकालकर बॉयोप्सी के लिये भेजना जरूरी हो जाता है।