Tuesday 11 February 2020

घर में नहीं हैं दाने-भैया वेलेन्टाइन-डे पर हो रहे हैं दीवाने

घर में नहीं दाने-भैया हो रहे दीवाने। एक साथ कईयों को लाइन दे चले वेलेन्टाइन डे (Velentine Day) मनाने। जो बात सामने कहने की हिम्मत नहीं वह पेपर में छपवा रहे हैं। उनकी इस आशिक मिजाजी से मात्र मुहल्ले की ही नहीं सारे शहर की लड़कियां परेशान हैं। वे पहली नजर में ही, लाइन मारने के लिए कुख्यात हैं। उनकी दृष्टि कमजोर किन्तु खोपड़ी मजबूत है। दर्जनों उपहार झेल चुके हैं, अपनी इकलौती खोपड़ी पर। कमजोर दृष्टि के कारण कुछ उन्हें लालटेन तो कुछ उनकी बेलाइन आदतों के कारण ’बेलालटेन्य कहते हैं।

वेलेन्टाइन डे (Velentine Day) पर पुत्र श्रवणकुमार, सुबह से ही अड़ी दे रहा है बाप को। कह रहा है मुझे पैसे दो मैं पेपर में छपवाऊंगा ’’आई लव यू डैड। बाप कह रहा है एक बार नहीं हजार बार सुनूंगा, मैं अपना सब काम धाम छोड़कर सुनूंगा तेरे श्रीमुख से आई लव यू किन्तु इस बात को पेपर में  छपवाकर क्यूं पैसा बर्बाद करना?
अब बुजुर्ग जवानों के मर्यादाहीन होने का रोना रो रहे हैं। धंधे वालों के ऐश हो रहे हैं। धंधे चलाने के, रोज नए हुनर पेश हो रहे हैं। इनके करतब देखकर लगता है कि जैसे संत वेलेन्टाइन (Velentine Day) की असली औलाद यही हैं, होटल/बार/डांस/म्युजिक क्लब सब झमाझम घर में बैठे बूढ़े मां-बाप मना रहे मातम।

प्रेमी-प्रेमिकाओं के इस दिवस को आदर्श का चोंगा पहना कर बहिन-भाई/देवर-भाभी/मां-बेटी/पति-पत्नी/बहिन-बहिन/भाई-भाई/नन्द-भौजाई के बीच भी संदेशों के आदान-प्रदान हेतु भूमिका बनाई। सर्वे के दौरान 95 प्रतिशत में प्रेमी प्रेमिका और शेष 5 प्रतिशत में बाकी रिश्तेदार निकले। विज्ञापनों के चलते प्रेम बहुत महंगा समझ आया क्योंकि ढाई आखर प्रेम का संदेश छपवाने में ढाई सौ का बिल आया।
अच्छा हुआ जो कृष्ण के जमाने में वेलेन्टाइन डे न हुआ अन्यथा श्रीकृष्णजी राधा के साथ नित प्रति लीला न रचा पाते और हम सब रासलीला से वंचित रह जाते। हम सही बोलता हूं वेलेन्टाइन डे के लेट आने का हमको बहुत अफसोस है और जब हमारा लालूजी के इहां फुल क्रिकेट टीम का लग गया लाइन-तब जाके ससुरा ईजाद हुआ वेलेन्टाइन। माता राबड़ी को इस कारण भारी कष्ट झेलना पड़ा, उसमें हम क्या कर सकता हूं?
प्रेम संदेशों का भी क्या कहना? पहले प्रीतम को देखने मिलने के लिए बहुत पापड़ बेलना पड़ते थे। अति विश्वसनीय व्यक्ति संदेशे देने का काम करता था। सारी कार्यवाही अत्यंत गोपनीय तरीके से संचालित होती थी, किसी को कानों कान भी खबर न होती थी। और अब चूंकि देश इक्कीसवीं सदी में आ गया, इसलिए अन्य क्षेत्रों की भांति प्रेम के क्षेत्र में भी कोई पीछे रहने तैयार नहीं है। पहले प्रेम छिपाकर किया जाता था और अब उजागर। वेलेन्टाइन डे हताश निराश प्रेमियों के लिए आस और वन वे प्रेमियों के लिए संदेशों के माध्यम से संतुष्टि का प्रयास।

ऐसे ही कुछ प्रेम संदेश पढ़कर लगा कि सारा देश, प्रेमियों का अखाड़ा है। प्रेम अखाड़े में सबके दिल टूटे पड़े हैं। एक दूसरे के बिना वे मरे जा रहे हैं। कोई आंसुओं के समुन्दर में गोते लगा रहा है तो कोई ’मनचाही्य से शादी के लिए व्रत किया जा रहा है। कईयों ने संदेश के साथ फोटो भी छपवाये। फोटो में वे बीमार नजर आये हैं। कहीं कहर तो कहीं करम, कुल मिलाकर मुहब्बत का बाजार गरम। अब लड़कियां मीरा नहीं मोना हैं, जानती हैं खाली प्यार से कुछ नहीं होना है। अब वे हैसियत देख कर करते हैं प्यार ताकि सुधरे उनका भावी संसार।
हम खुश हैं कि तुम-खुश हो। खुशी के मौके पर जोश-जोश में कायम रखो होश। होश में रहोगे तो बहकोगे नहीं... बहकोगे नहीं तो... लाइन से चलोगे... लाइन से चलोगे तो... बेलाइन नहीं होगे... बेलाइन नहीं होंगे तो... वेलेन्टाइन डे (Velentine Day) .... का आनन्द लोगे।
घर में नहीं हैं दाने-भैया वेलेन्टाइन-डे पर हो रहे हैं दीवाने
घर में नहीं दाने-भैया हो रहे दीवाने। एक साथ कईयों को लाइन दे चले वेलेन्टाइन डे (Velentine Day) मनाने। जो बात सामने कहने की हिम्मत नहीं वह पेपर में छपवा रहे हैं। उनकी इस आशिक मिजाजी से मात्र मुहल्ले की ही नहीं सारे शहर की लड़कियां परेशान हैं। वे पहली नजर में ही, लाइन मारने के लिए कुख्यात हैं। उनकी दृष्टि कमजोर किन्तु खोपड़ी मजबूत है। दर्जनों उपहार झेल चुके हैं, अपनी इकलौती खोपड़ी पर। कमजोर दृष्टि के कारण कुछ उन्हें लालटेन तो कुछ उनकी बेलाइन आदतों के कारण ’बेलालटेन्य कहते हैं।

वेलेन्टाइन डे (Velentine Day) पर पुत्र श्रवणकुमार, सुबह से ही अड़ी दे रहा है बाप को। कह रहा है मुझे पैसे दो मैं पेपर में छपवाऊंगा ’’आई लव यू डैड। बाप कह रहा है एक बार नहीं हजार बार सुनूंगा, मैं अपना सब काम धाम छोड़कर सुनूंगा तेरे श्रीमुख से आई लव यू किन्तु इस बात को पेपर में  छपवाकर क्यूं पैसा बर्बाद करना?
अब बुजुर्ग जवानों के मर्यादाहीन होने का रोना रो रहे हैं। धंधे वालों के ऐश हो रहे हैं। धंधे चलाने के, रोज नए हुनर पेश हो रहे हैं। इनके करतब देखकर लगता है कि जैसे संत वेलेन्टाइन (Velentine Day) की असली औलाद यही हैं, होटल/बार/डांस/म्युजिक क्लब सब झमाझम घर में बैठे बूढ़े मां-बाप मना रहे मातम।
प्रेमी-प्रेमिकाओं के इस दिवस को आदर्श का चोंगा पहना कर बहिन-भाई/देवर-भाभी/मां-बेटी/पति-पत्नी/बहिन-बहिन/भाई-भाई/नन्द-भौजाई के बीच भी संदेशों के आदान-प्रदान हेतु भूमिका बनाई। सर्वे के दौरान 95 प्रतिशत में प्रेमी प्रेमिका और शेष 5 प्रतिशत में बाकी रिश्तेदार निकले। विज्ञापनों के चलते प्रेम बहुत महंगा समझ आया क्योंकि ढाई आखर प्रेम का संदेश छपवाने में ढाई सौ का बिल आया।
अच्छा हुआ जो कृष्ण के जमाने में वेलेन्टाइन डे न हुआ अन्यथा श्रीकृष्णजी राधा के साथ नित प्रति लीला न रचा पाते और हम सब रासलीला से वंचित रह जाते। हम सही बोलता हूं वेलेन्टाइन डे के लेट आने का हमको बहुत अफसोस है और जब हमारा लालूजी के इहां फुल क्रिकेट टीम का लग गया लाइन-तब जाके ससुरा ईजाद हुआ वेलेन्टाइन। माता राबड़ी को इस कारण भारी कष्ट झेलना पड़ा, उसमें हम क्या कर सकता हूं?
प्रेम संदेशों का भी क्या कहना? पहले प्रीतम को देखने मिलने के लिए बहुत पापड़ बेलना पड़ते थे। अति विश्वसनीय व्यक्ति संदेशे देने का काम करता था। सारी कार्यवाही अत्यंत गोपनीय तरीके से संचालित होती थी, किसी को कानों कान भी खबर न होती थी। और अब चूंकि देश इक्कीसवीं सदी में आ गया, इसलिए अन्य क्षेत्रों की भांति प्रेम के क्षेत्र में भी कोई पीछे रहने तैयार नहीं है। पहले प्रेम छिपाकर किया जाता था और अब उजागर। वेलेन्टाइन डे हताश निराश प्रेमियों के लिए आस और वन वे प्रेमियों के लिए संदेशों के माध्यम से संतुष्टि का प्रयास।

ऐसे ही कुछ प्रेम संदेश पढ़कर लगा कि सारा देश, प्रेमियों का अखाड़ा है। प्रेम अखाड़े में सबके दिल टूटे पड़े हैं। एक दूसरे के बिना वे मरे जा रहे हैं। कोई आंसुओं के समुन्दर में गोते लगा रहा है तो कोई ’मनचाही्य से शादी के लिए व्रत किया जा रहा है। कईयों ने संदेश के साथ फोटो भी छपवाये। फोटो में वे बीमार नजर आये हैं। कहीं कहर तो कहीं करम, कुल मिलाकर मुहब्बत का बाजार गरम। अब लड़कियां मीरा नहीं मोना हैं, जानती हैं खाली प्यार से कुछ नहीं होना है। अब वे हैसियत देख कर करते हैं प्यार ताकि सुधरे उनका भावी संसार।

हम खुश हैं कि तुम-खुश हो। खुशी के मौके पर जोश-जोश में कायम रखो होश। होश में रहोगे तो बहकोगे नहीं... बहकोगे नहीं तो... लाइन से चलोगे... लाइन से चलोगे तो... बेलाइन नहीं होगे... बेलाइन नहीं होंगे तो... वेलेन्टाइन डे (Velentine Day) .... का आनन्द लोगे।

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