8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day) है। महिला दिवस पूरी दुनिया में मनाया जाता है। इस दिन महिलाओं के सम्मान, खुशी, उनके हक के बारे में बातें की जाती हैं। इसी के तहत हम भी महिला दिवस को समर्पित महिलाओं के लिए एक लेख प्रस्तुत कर रहा हूं कि गर्भवती महिलाओं (Women's) की कैसे देखभाल की जाये। जैसे ही गर्भवती होने का पता चले, तो स्थानीय महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता (ए.एन.एम.) से संपर्क कर गर्भ का पंजीयन कराएं।
भोजन का महत्व (importance of food)
पेट में पलने वाला बच्चा अपनी खुराक मां के खाने से लेता है। जो महिलाएं (Women's) कम खाती हैं वे आप भी कमजोर रहेंगी और बच्चा भी। जन्म के समय बच्चे का वजन कम हो तो उसकी जान को खतरा रहता है और यह कई नवजात शिशुओं की मौत का मुख्य कारण बनता है इसलिए गर्भावस्था में खाने पर खास ध्यान देना चाहिए।
भोजन की मात्रा (Food intake)
पहले जो महिला (Women's) दिन में तीन बार खाती हो उसे चार-पांच बार खाना चाहिए, बेशक थोड़ा-थोड़ा खायें। पहले जो एक बार में तीन रोटी खाती हो उसे चार रोटी खिलाएं। खाने में दालें, सब्जियां और अन्य पौष्टिïक चीजें जरूर दें।
कैसा भोजन खाएं (What kind of food to eat)
गर्भावस्था में खाना पौष्टिïक और सही मात्रा में दें। खाने के मामले में कोई परहेज न करें। जो मनचाहे वही खिलाएं मगर जिसमें लौह तत्व (आयरन) भरपूर मात्रा में हो जैसे हरे पत्ते वाली सब्जी, साग, गेहूं, ज्वार, बाजरा, छिलके वाली दालें और गुड़। खाने से पहले या खाने के बाद चाय नहीं पीनी चाहिए। इससे भोजन में पाए जाने वाले लौह तत्व का लाभ शरीर को पूरी तरह नहीं मिलता।
आयरन की गोली (Iron pill)
आयरन की गोलियां नियमित खाने से मां और बच्चे दोनों के शरीर में खून की कमी नहीं होती।
विटामिन 'ए' की पूर्ति (Vitamin 'A' supply)
हर गर्भवती महिला (Women's) और उसके होने वाले बच्चे के लिए विटामिन ''ए' आंखों की रोशनी बनाए रखने के लिए बहुत जरूरी है। विटामिन 'ए' की कमी से गर्भवती महिला व दूध पिलाती मां की आंखों में रतौंधी हो सकती है। नवजात शिशु के लिए जरूरी विटामिन 'ए' मां के दूध से ही मिलता है। गर्भावस्था में यदि विटामिन 'ए' की कमी हो, तो वह केवल विटामिन 'ए' युक्त खाने से ही दूर हो सकती है। इसलिए हरी पत्तेदार साग-सब्जियों में जैसे पालक, बथुआ, सरसों, पत्ता गोभी, मूली, चने का साग, पीले रंग वाले फल व सब्जियां जैसे आम, पपीता और कद्दू, दूध, दही आदि खिलाएं।
आयोडीन युक्त नमक (Iodized salt)
आयोडीन एक ऐसा तत्व है जो हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी है। गर्भवती मां के लिए आयोडीन की कमी मां और बच्चे दोनों के लिए बहुत हानिकारक है। इससे बच्चा मंदबुद्घि हो सकता है, बच्चा गिर सकता है, मरा हुआ पैदा हो सकता है, गंूगा-बहरा हो सकता है, कण्ठमाला बढ़ सकती है या घेंघा रोग हो सकता है। इन सब बीमारियों से बचने का एक ही उपाय है रोज केवल आयोडीन नमक खाएं।
गर्भावस्था में आराम (Rest in pregnancy)
गर्भावस्था की आखिरी तिमाही में ज्यादा काम करना या बोझ उठाना हानिकारक हो सकता है। काम के साथ-साथ आराम करना भी बहुत जरूरी है। आराम करने से गर्भ में पल रहे बच्चे की बढ़त भी ठीक प्रकार से होती है इसलिए रोज दोपहर को खाना खाकर दो घंटे बांयी करवट से लेटकर आराम करना अच्छा होता है।
टिटनेस से बचाव (Avoidance of tetanus)
गर्भ का पता लगते ही टिटनेस के दो टीके लगवाना न भूलें। यह आपके और होने वाले बच्चे के बचाव के लिए बहुत आवश्यक है।
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