Wednesday 19 February 2020

ग्रीष्मकालीन मौसम में बरतें सावधानियां

स्वास्थ्य ही धन है। रूपये-पैसे धन-दौलत कमाना जितना सहज है स्वस्थ रहना उतना ही कठिन। ग्रीष्म काल प्रकृति की दृष्टि से भले ही अनुकूल होता है परंतु अच्छे स्वास्थ्य के लिए उतना ही प्रतिकूल रहता है। ग्रीष्मकालीन  मौसम में अगर हम कुछ सावधानियां बरतें तो अनावश्यक दवाओं व डाक्टरों को फीस चुकाने से बच सकते हैं।

1. सदैव मन प्रसन्न रखें। चिन्ता जनक स्थितियां मस्तिष्क और आमाशयी विकृतियों को जन्म देती हैं।

2. थोड़ा सा समय निकाल कर प्रतिदिन हल्का फुल्का व्यायाम कीजिए। व्यायाम के नाम पर जटिल तरीकेे न अपनायें। जो आपकी क्षमता के अनुकूल हो वहीं करें।

3. अति हमेशा हानिप्रद साबित होती है। चाहे वह खानपान हो या श्रम या धन कमाने की प्रवृति।

4. आस-पास बगीचा हो तो वहां सुबह शाम अवश्य  टहलें। यदि यह उपलब्ध न हो तो सुबह की ताजी हवा का सेवन अवश्य करें। इससे आपके शरीर में प्रविष्ट हुई ऑक्सीजन आपको दिन भर तरोताजा बनाए रखेगी।

5. पानी यथासंभव उबाल कर पियें। यदि यह संभव न हो तो कम से कम छान कर साफ सुथरे बर्तन का ही पानी पियें बहुत सी बीमारियों की जड़ अशुद्घ पानी है। खासकर खुले स्थानों, होटल, चाय ठेलों में सफाई का अभाव होता है।

6. मंहगे फल न सही पर ऋतु अनुकूल स्थानीय फल सस्ते में उपलब्ध होते हैं। उनका सेवन करें। वैसे प्रकृति ने हमें हर ऋतु की दृष्टि से आहार उपलब्ध कराया है। जिनका सेवन हमारे स्वास्थ्य को अनुकूल रख सकता है।

7. उपवास भी एक तरह की चिकित्सा है जिसे प्राकृतिक चिकित्सा के तहत लिया जाता है। उपयुक्त हल्का फुल्का खान-पान लेकर स्वस्थ रहा जा सकता है।

8. ग्रीष्म काल में ठंडे जल से स्नान करें।

9. ग्रीष्मकाल में पानी ज्यादा से ज्यादा पीना चाहिए किन्तु भोजन के आधा घंटा पूर्व व आधा घंटा बाद तक। 

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